Pandit Deendayal Upadhyaya Shekhawati University

PDUSU CHEMISTRY QUESTIONS 

 

प्रश्न 1.प्रकाश विद्युत प्रभाव क्या होता है ? क्वांटम सिद्धान्त द्वारा इसे कैसे समझाया गया ?


उत्तर : प्रकाश विद्युत प्रभाव (Photoelectric effect) : जब अति उच्च आवृत्ति के विकिरण निर्वात में किसी धातु की सतह पर आपतित होते हैं तो धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन पूर्णतया निष्कासित हो जाते हैं। इस तरह निष्कासित इलेक्ट्रॉन प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं तथा ये घटना प्रकाश विद्युत प्रभाव कहलाती है।


PDUSU CHEMISTRY QUESTIONS


प्रयोगों द्वारा प्रकाश विद्युत प्रभाव के सम्बन्ध में निम्नलिखित निष्कर्ष प्राप्त हुए

(1) धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन धातु की प्रकृति तथा विकिरण की आवृत्ति पर निर्भर करता है। पोटेशियम धातु की सतह से दृश्य प्रकाश द्वारा इलेक्ट्रॉन निष्कासित हो जाते हैं परन्तु जस्त धातु की सतह से नहीं। (2) उचित ऊर्जा युक्त प्रत्येक फोटोन धातु से तुरन्त इलेक्ट्रॉन निष्कासित कर सकता है और धातु में ऊर्जा का संचयन नहीं होता।

(3) इकाई समय में उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की संख्या (धारा की सामर्थ्य आपतित प्रकाश की तीव्रता के समानुपाती होती है।


(4) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा, आपतित प्रकाश की आवृत्ति की समानुपाती है। गतिज ऊर्जा का मान प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करता है।


प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या : 1905 में आइन्सटीन ने प्लांक द्वारा प्रदत्त विकिरणों के क्वांटम सिद्धान्त का प्रयोग कर प्रकाश विद्युत प्रभाव की सफलतापूर्वक विवेचना की आइन्सटीन ने यह माना कि विकिरण में ही hu ऊर्जा के पैकेट या क्वान्टा होते हैं जिन्हें फोटॉन कहते हैं। इसके अनुसार जब कोई फोटॉन किसी पदार्थ पर पड़ता है तो वह अपनी पूर्ण ऊर्जा (hv) धातु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन को दे देता है अर्थात् धातु सतह के भीतर इलेक्ट्रॉन एक फोटॉन का पूर्णरूपेण अवशोषण करता है। इलेक्ट्रॉन द्वारा प्राप्त यह अतिरिक्त ऊर्जा दो कार्य करती है 

(1) इलेक्ट्रॉन को पदार्थ की सतह से बाहर निकालने में जो ऊर्जा व्यय होती है जिसे कार्य फलन कहते हैं। धातु से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए कुछ कार्य करना पड़ता है, इस न्यूनतम कार्य को पदार्थ का कार्य फलन (Wo) कहते हैं। 

(2) शेष ऊर्जा इलेक्ट्रॉन को पदार्थ की सतह से बाहर निकालने के पश्चात् उसे गतिज ऊर्जा प्रदान करती है।

अर्थात्

ho=Wo + 1/2 m.v(2)


जहाँ बाहर निकलने के बाद इलेक्ट्रॉन का वेग है तथा इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।


(1)कार्य फलन Wo पदार्थ की प्रकृत्ति पर निर्भर करता है, आपाती फोटॉन पर नहीं। अतः यदि फोटॉन की ऊर्जा hu परिवर्तित की जाए (आवृत्ति U परिवर्तन करके) तो इलेक्ट्रॉन को पदार्थ से बाहर निकलने के पश्चात् वेग v परिवर्तित होगा। यदि आपाती फोटॉन की ऊर्जा का मान Wo के बराबर हो जाए तो वेग v शून्य होगा (अर्थात् E = Wo) फोटॉन की इस ऊर्जा को देहली ऊर्जा कहते हैं। यदि इस ऊर्जा (देहली ऊर्जा) का फोटॉन प्रयुक्त किया जाए तो वह कार्य फलन Wo के लिए ऊर्जा प्रदान करने में समर्थ होगा परन्तु इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं हो सकेगा।


अतः किसी भी धातु प्लेट से इलेक्ट्रॉन दूर करने के लिए ऊर्जा के निम्नतम मान को उस धातु की देहली ऊर्जा कहते हैं तथा न्यूनतम आवृत्ति (vo) जिससे कम आवृत्ति के फोटॉन द्वारा इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं हो सकता देहली आवृत्ति कहते हैं। यह धातु की प्रकृति पर निर्भर करती है। देहली आवृत्ति का फोटॉन प्रयुक्त करने पर समीकरण (1) से


hvo = Wo + 0 

अर्थात् hvo = Wo ................. समीकरण (2)

समीकरण (1) में मान रखने पर

hv0= hvo + 1/2mv(2)


1/2mv(2) =h (v - Vo)

समीकरण (3) को आइन्सटीन की प्रकाश विद्युत समीकरण कहते हैं। उपर्युक्त समीकरण से स्पष्ट है कि यदि आपतित फोटॉन की ऊर्जा (hu) इलेक्ट्रॉन को सतह से बाहर निकालने की ऊर्जा (hvg देहली ऊर्जा) से कम (ho <hvg) होगी तो इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन नहीं होगा चाहे उसकी तीव्रता कितनी ही बढ़ा दें।

प्रकाश विद्युत प्रभाव का उपयोग : प्रकाश विद्युत प्रभाव का उपयोग प्रकाश विद्युत सैल बनाने में किया जाता है। ये टेलीविजन पिक्चर उत्पन्न करने में काम में आने वाली फोटोट्यूब ऑटोमैटिक डोर-ओपनर, बर्गलर अलार्म लगाने में, स्पैक्ट्रोफोटोमीट्रिक मापन और दूसरे कार्य में उपयोग में आता है। प्रायः सैल का निर्माण क्षारीय धातु की एक पतली परत निर्वात नली की सतह पर लगाकर किया जाता है जिसमें से जाने वाली तार एनोड का कार्य करती है। जब देहली ऊर्जा से अधिक आवृद्धि की ऊर्जा धातु की सतह पर पड़ती है जो धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है और पहले से आवेशित एनोड की तरफ जाते हैं। इस प्रकार सर्किट में धारा का बहाव होता है और यह अमीटर से या किसी दूसरी विद्युत उपकरण से ज्ञात कर लेते हैं ।

प्रकाश विद्युत प्रभाव केवल धातु की सतह पर ही उत्पन्न नहीं होता है जबकि यह गैस और द्रव भी दर्शाती है। विद्युत चुम्बकीय स्पैक्ट्रम में y किरणों से लेकर I.R. क्षेत्र तक की Y सभी विकिरणें यह प्रभाव प्रदर्शित करती हैंl

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