हाइड्रोसिलेशन क्या है ?

Pandit Deendayal Upadhyaya Shekhawati University

Chemistry Questions

प्रश्न 3.हाइड्रोसिलेशन क्या है ? चक्रीय सिलिकोन्स के बहुलीकरण की क्रियाविधि का वर्णन कीजिये। सिलिकोन्स के अनुप्रयोग लिखिए।

उत्तर- हाइड्रोसिलेशन :विभिन्न प्रकार की ऑलीफिन तथा एसीटिलीन उपयुक्त परिस्थितियों में हैलोसिलेन अथवा आर्गेनोसिलेन, जिनमें एक या अधिक Si-H बन्ध मौजूद हो से Pt समूह की धातुओं की उपस्थिति में क्रिया करके वांछित सिलायल यौगिकों का निर्माण करते हैं: 

  Cl3 SiH+H, C=CHR Cl3 SiCH, CH, R


उपरोक्त अभिक्रिया में Si-H बन्ध C=C द्विबन्ध से जुड़ कर कार्बसिलिकन हेलाइड बनाते हैं। यद्यपि यह क्रिया उच्च ताप पर उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में भी हो सकती है किन्तु निम्न ताप पर भी यह क्रिया उत्प्रेरक की उपस्थिति में होती है


                                         Pt

Cl3 SiH+C6H5 CH=CH2 ->Cl3SICH₂CH₂C6H5

(साइक्लौसिलोक्सेन्स)


चक्रीयसिलिकोन्स के बहुलीकरण की क्रियाविधि:

जब चक्रीय ऑर्गेनोसिलोक्सेन्स को अकेले गर्म किया जाता है अथवा अम्लीय या बेसिक उत्प्रेरक (H₂SO4 या KOH) की उपस्थि में गर्म किया जाता है, तब ये स्वल्पलक (प्लास्टिक) और बहुलक का मिश्रण देते हैं।


R2Si-O-SiR2  

      | |        Base or acid  

n   O O           --------->             (R2Si-O)4n

      | |

R2 Si-O-SiR2


डाइमेथिल सिलोक्सेन (Me2Si-O)n के साम्य मिश्रण में मुख्यतः उच्च अणुभार वाले बहुलक (अणुभार 20,00,000) और केवल बहुत कम मात्रा में कम अणुभार वाले चक्रीय प्लास्टिक होते हैं। सामान्यत एक वलय स्टॉपर (डाट), जैसे हेक्सामेथिल, डाइसिलेक्सेन, Me3Si O-SiMe3 को मिलाते हैं ताकि रैखिक स्पीशीज़ बनने से आपेक्षिक अणुभार कम हो जाये। वलय स्टॉपर और साइक्लोसिलोक्सन का अनुपात जितना अधिक होगा उतनी ही वलय की आपेक्षिक लम्बाई कम होगी।

n(Me2Si-O)4 + Me3Si-O-SiMe ------->


चक्रीय बहुलक Me3SiO-(Me2Si-O)4n-SiMe3

                                       रैखिक बहुलक


प्रयुक्त उत्प्रेरक अम्लीय हो अथवा बेसिक के उपरान्त भी यह महत्वपूर्ण है कि समान क्रियाफल बनता है।


बहुलकीकरण की क्रियाविधि :

साइक्लोसिलेक्सेन्स के बेसिक उत्प्रेरक की उपस्थिति में बहुलकीकरण में सम्भवतः निम्न क्रियाविधि होती है। प्रारम्भ में सिलिकन पर हाइड्रॉक्सिल आयन (OH`) की नाभिक स्नेही क्रिया होती है जिससे वलय संरचना (1) खुलकर नया नाभिकरनेही सिलेनोलेट आयन (II) बनता है। यह सिलेनोलेट आयन (II) दूसरी वलय संरचना (III) से क्रिया करके अन्य सिलेनोलेट आयन (IV) बनाता है। यह क्रिया दोहरायी जाती है जिससे लम्बी सिलोक्सेन श्रृंखला बनती हैं। श्रृंखला अवरोधी क्रिया में लम्बी श्रृंखला वाले सिलेनोलेट आयन Mg3Si-O-sin3 (VI) से क्रिया करते है जिससे लम्बी श्रृंखला वाले बहुलक (VI) बनते हैं।

हाइड्रोसिलेशन क्या है
हाइड्रोसिलेशन क्या है


सिलिकोन्स के अनुप्रयोग

विशिष्ट गुणों के कारण सिलिकोन कई जगह काम में लिए जाते हैं। तथापि, शरीर क्रियात्मक सक्रियता के कारण इन्हें औषध खाद्य उद्योगों में काम में नहीं लिया जाता है।

 कुछ मुख्य उपयोग निम्न प्रकार हैं:

1. सिलिकोन रबर- अधिक आण्विक जटिलता वाले सिलिकोन कुछ मुख्य उपयोग गुणों में सामान्य कार्बनिक रबरों से काफी मिलते हैं। अतः इन्हें • सिलिकोन रबर कहते हैं। लम्बे ताप परिसर पर सिलिकॉन रबर के गुण अप्रभावित रहने के कारण ये निम्न तथा उच्च ताप पर अधिक उपयोगी रहते हैं। अब ऐसे सिलिकोन रबर बनाए जा चुके हैं जो 90°C तथा 540°C पर भी उपयोग में लिए जा सकते हैं। 150°C पर बहुत लम्बे समय तक इनका उपयोग किया जा सकता है। इन पदार्थों का उपयोग गास्केट (gasket). सीलें (seals), ज्वाला प्रतिरोधी, रबर, रबर टेप, तथा रबर साँचे (rubber moulds) बनाने में किया जाता है। 

2. सिलिकोन तरल- मेथिलसिलिकोन बहुत बहुआयामी उपयोग के तेलीय द्रव हैं। कुछ मुख्य उपयोग निम्न प्रकार हैं:

(i) उच्च ताप पर, जहाँ सामान्य कार्ब शृंखला वाले बहुलकों की स्नेहक के रूप में उपयोगिता समाप्त हो जाती है, लम्बी ताप पर (-50° से 250"C) तक स्थायी रहने के कारण सिलिकोन स्नेहक के रूप में काम में लिए जाते हैं।


(ii) क्लोरीनीकृत विलायकों में इनके विलयन सतह को जल प्रतिकर्षी बनाने में काम में लिए जा सकते हैं।


(iii) सिलिकन तरलों में इमल्सन बनाये जाते हैं जिन्हें जल प्रतिकर्षी प्रतिफेनक कर्मकों एवं चिपचिपाहट विरोधी गुणों के कारण बहुतायत में उपयोग में लिया जाता है।


(iv) ऊष्मा के प्रति स्थायित्व, जल शोषण की कम प्रवृत्ति तथा शक्ति का कम क्षय करने के कारण ये पदार्थ द्रव परावैद्युतिकी के रूप में भी काम में लिए जाते हैं।

(v) ये पदार्थ कपड़ा व कागज उद्योगों में भी काम में लिए जाते हैं।

3. स्नेहक तथा ग्रीज के रूप में : सिलिका का अति बारीक चूर्ण मेथिल सिलिकोन में मिलाने पर पेट्रोलियम जैसा पदार्थ प्राप्त होता है जिसका उपयोग ग्रीज के रूप में किया जाता है। इन ग्रीजों का जीवन पेट्रोलियम ग्रीजों की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक होता है तथा उच्च एवं निम्न तापों पर इनका उपयोग किया जाता है।

4. सिलिकोन रेजिन : विद्युत रोधन के लिए सिलिकॉन रेजिन का उपयोग महत्त्वपूर्ण हैं चूँकि उच्च ताप पर कार्बनिक रेजिन जलकर नष्ट हो जाते हैं, शीशे के रेशे, एस्बेस्टॉस या अभ्रक के साथ सिलिकोन रेजिन को मिलाकर ऐसे विद्युत रोधक बनाये जाते हैं जिनके उच्च ताप पर प्रयोग से सुरक्षा बनी रहती है। विद्युत मोटर, कुण्डली आदि में इनका उपयोग किया जाता है।

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